चाणक्य नीति बताती है कि एक सज्जन व्यक्ति को किसके साथ संबंध तोड़ना चाहिए।
चाणक्य ने कहा है कि अंधा जन्म लेने वाला व्यक्ति कुछ भी नहीं देख सकता है। इसी प्रकार, काम और
क्रोध में लीन व्यक्ति को इन विषयों के अलावा कुछ नहीं दिखता। स्वार्थी व्यक्ति किसी में दोष नहीं देखता।
सब उसके बराबर हैं। इसलिए सज्जन को स्वार्थी लोगों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। क्योंकि
ऐसे लोगों के प्रभाव से व्यक्ति की मानसिकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
चाणक्य ने कहा है कि दुष्ट और लालची व्यक्ति हमेशा दूसरों की प्रगति से ईर्ष्या करता है। वह खुद कभी तरक्की नहीं कर सकता, लेकिन
दूसरों की तरक्की देखकर वह हमेशा आलोचना करने लगता है। इसलिए
आचार्य चाणक्य ने कहा है कि ऐसे व्यक्ति से हमेशा दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
क्योंकि इससे सज्जन व्यक्ति को मानसिक तनाव हो सकता है। इसके साथ ही
उनके कार्यशैली में भी नकारात्मकता देखने को मिल रही है।