जहां महिलाओं की पूजा नहीं होती वहां कुछ भी करना बेकार, जानिए कौटिल्य से जीवन का मूल मंत्र
यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवताः।
यत्र तास्तु न पूज्यंते तत्र सर्वाफलक्रियाः
चाणक्य नीति के इस श्लोक में बताया गया है कि जहां नारी की पूजा की जाती है वहां देवता स्वयं वास करते हैं।
वहीं दूसरी ओर जहां महिलाओं की पूजा नहीं होती है या उन्हें हीन भावना से देखा जाता है, वहां
हमेशा किसी न किसी तरह की परेशानी पैदा होती रहती है और सारा काम बेकार चला जाता है
इसलिए समाज में महिलाओं का स्थान देवी-देवताओं के स्थान के बराबर है। देवता स्वयं उनकी निंदा या अपमान करने से क्रोधित हो जाते हैं।
मूर्खा यत्र न पूज्यते धान्यं यत्र सुसंचितम् ।
दंपत्यो कलहं नास्ति तत्र श्रीः स्वयमागतः ।।
इस श्लोक में आचार्य चाणक्य बता रहे हैं कि जिस स्थान पर अज्ञानी का सम्मान नहीं होता, वह स्थान जहां अन्न का सम्मान होता है।
जिस स्थान पर पति-पत्नी के बीच हमेशा प्रेम रहता है, वहां माता लक्ष्मी का वास होता है।
इसलिए किसी भी परिस्थिति में मूर्ख व्यक्ति को अपना आदर्श बनाना मूर्खता से बड़ा पाप है और
अन्न अर्थात अन्न का सदैव सम्मान करना मनुष्य का सबसे बड़ा कर्तव्य है।
भूमे: गरीयसी माता, स्वर्गात उच्चतर: पिता ।
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गात अपि गरीयसी ।।
इस नीति में आचार्य चाणक्य ने जीवन के सर्वाधिक ज्ञान को शामिल किया है। उन्होंने बताया है कि मातृभूमि से बढ़कर मां का स्थान होता है।
पिता का स्थान स्वर्ग से भी ऊँचा होता है साथ ही मां और मातृभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ हैं।
इसलिए अंतिम सांस तक माता-पिता का सम्मान करना चाहिए और मातृभूमि के प्रति हमेशा आभारी रहना चाहिए।