30 करोड़ किलोमीटर दूर से आया धरती पर पानी! इस तरह वैज्ञानिकों ने पता लगाया
शोधकर्ता लंबे समय से कह रहे हैं कि पृथ्वी पर पानी बाहर से आया होगा। शुक्रवार को एक बार फिर वैज्ञानिकों ने इसे दोहराया और कुछ तथ्य भी पेश किए।
वैज्ञानिकों ने बताया कि पृथ्वी से करीब 30 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक क्षुद्रग्रह की जांच में मिले धूल के कणों में एक चौंकाने वाला घटक सामने आया है
उन्होंने इसे पानी की बूंद कहा। यह खोज इस सिद्धांत का समर्थन करती है कि पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति बाहरी अंतरिक्ष से हुई है।
शोधकर्ता वर्ष 2020 में क्षुद्रग्रह रयुगु से पृथ्वी पर लाई गई सामग्री की जांच कर रहे हैं।
शुक्रवार को तोहोकू विश्वविद्यालय के प्रमुख वैज्ञानिक तोमोकी नाकामुरा ने संवाददाताओं से कहा,
''पानी की इस बूंद के बहुत मायने हैं.'' उन्होंने कहा, 'कई शोधकर्ताओं का मानना है कि पानी (बाहरी अंतरिक्ष से) लाया गया था,
लेकिन हमने वास्तव में पहली बार एक क्षुद्रग्रह रयुगु में पानी की खोज की।'
नाकामुरा ने कहा कि शोधकर्ताओं को रयुगु के नमूने तरल पदार्थ की एक बूंद मिली "जो कार्बोनेटेड पानी था जिसमें नमक और कार्बनिक पदार्थ होते थे"।
नाकामुरा ने कहा कि हमारा शोध इस सिद्धांत को मजबूत करता है कि रयुगु जैसे क्षुद्रग्रह या उसके बड़े मूल क्षुद्रग्रह और पृथ्वी के बीच टकराव से पानी हो सकता है।
नाकामुरा की टीम में करीब 150 शोधकर्ता शामिल हैं। इनमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली और चीन के 30 शोधकर्ता शामिल हैं।
इस साल जून में, शोधकर्ताओं के एक समूह ने कहा कि उन्हें रयुगु में कार्बनिक पदार्थ मिला है,
जिससे पता चलता है कि अमीनो एसिड, पृथ्वी पर जीवन के कुछ निर्माण खंड, अंतरिक्ष में बने होंगे।
वैज्ञानिकों ने कहा था कि क्षुद्रग्रह 'रयुगु' के नमूने इस बात पर प्रकाश डाल सकते हैं कि अरबों साल पहले पृथ्वी पर महासागरों का निर्माण कैसे हुआ।